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वक्त के हर...

वक्त के हर सांचे में ढल सफर यह चलता रहा है फूल मिले या काँटों का साज झनकार साथ,टंकार साथ यह तो कहीं हँस कर तो सिसक सिसक कहीं यह फलता पलता रहा है।। ✌रा.जि.कुमार सासाराम।

By Rajiv Jiya Kumar
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