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वक्त बेवक्त...

वक्त बेवक्त सा हो गया है सारा जहां अब सो सा गया है यहां अपने हो जाते पल में पराए चेहरे के पीछे है चेहरा छुपाए मनुष्य के खाल में भेड़िया बन आए दरिंदगी की सारी हदें तोड़ आए मासूम बच्ची की जिस्म पर है दांत गड़ाए हे मनुष्य तुझे बच्ची की दर्द ना सुनाए तू भी तो किसी का बाप बेटा भाई कहलाए लेकिन पुरुष तुझे कभी शर्म ना आए

By राजेश "बनारसी बाबू"
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