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विषमता बंधन क्या सिर्फ अबलाओं को , नहीं सबलों को ये स्वीकार , जाल बिछा क्या इन्हीं को , नहीं उनको अंगीकार , रूढ़ियां और आदर्श क्या इन्हीं को , नहीं जकड़ते हैं उनको , नहीं पिसते ये इन पाटों में , शायद यही फासला है , पुरुष और नारी में ।।

By Mithilesh Tiwari
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