“
विधा, गीत
शीर्षक, माँ
सर्दियों में बिस्तर छोड़ा गीला जब मिला,तो आया ख्याल की कैसे सोती थी तू मां।
मेरे मुस्कुराने पर हस देती थी,मुझे चोट लगने पर क्यों रोती थी तु माँ।
मेरे पीछे थाली लेकर दौड़ा करती थी। लाखों सपने मुझे लेकर समझोया करती थी।
मुझे तो सुला देती थी लोरी गा के, मेरे लिए रात भर ना सोती थी तू मां।
सर्दियों में बिस्तर थोड़ा गीला जब मिला, तो आया ख्याल कैसे सोती थी तुम माँ।
तेरे हाथों के
”