“
वेताब सा यह मन
तुझे हर पल ढूंढता हे
यह हवाऐँ जैसे तेरे महक से
मुझे महकाना चाहते हो
पागल हे दिल बक्त बेवक्त
तेरे याद में धड़कता हे
मानो जैसे यह वाहारेँ
तेरे रुत से मुझे
भिगाने के खयाल रखते हो
तुम्हें भूलना इतना आसान कहाँ
तुम तो मेरे रूह में बसे हो
”