“
उसका प्यार था बस एक
चमकीला दलदल
जिस का आज था ना कल
मेरे तमन्नाओं के दर्पण को
कुछ इस तरह तोड़ा उसने
जिसमें बची थी ना अब कोई आस बाकी
और छोड़ दिया उस ने ऐसी जगह लेकर मुझ
जहां में खुद के भी पास ना बची
खुद के ही सवालों में इस कदर उलझ गयी मैं
जहां से निकलने की अब
कोई आस ना बची
”