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उस रात हमने...

उस रात हमने चांद को भी बहकते देखा था, कम्बख्त अपने चाहने वालों पर बड़ा मेहरबान था। करी थी खाली मय की न जाने कितनी सुराहियां, बस अपने दामन पर लगे चंद पुराने दागों से परेशान था।।

By Goga K
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