“
उन्हें उड़ने का शोक था,
अपने अल्फाज़ो को आसमान बना दिया है मैंने l
उन्हें खुशबु का शोक था,
अपनी कलम में गुलिस्तां बसा दिया है मैंने l
जब उन्हें तन्हाइयो का शोक हुआ,
अपने दिल को भी वीरान बना दिया है मैंने l
उन्हें गुनगुनाने का शोक हुआ,
तों अपनी शायरी को तान बना दिया मैंने l
”