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तुम्हारे...

तुम्हारे लिए मैं छोडी ये घर ये आंगन तुम्हारे लिए मै छोडी वो खुशीयो का दामन ममता के आंचल में छुपा लो ना मांँ, अपनी गुड़िया को बचा लो ना माँ तेरी गुड़िया तड़प रही है मौत के मुंह से बिलख रही है इन दहेज लोभीयो से मुझको बचा लो ना मांँ ममता के आंचल में छुपा देना मांँ

By राजेश "बनारसी बाबू"
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