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तुझसे...
तुझसे जो प्रीत...
तुझसे जो...
“
तुझसे जो प्रीत लगाई मैंने कान्हा
जग बैरी हुआ मुझसे
मैं क्या करूं कि मुझे भाता है जो
वह तेरे संग मेरे प्रीत का रिश्ता है।।
कंचन सिंगला
”
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