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" महिला " एक महिला होने से पहले होती है....
एक बेटी, बहन
वक्त बदलता है, रिश्ते बदलते हैं....तब वह बन जाती है
किसी की भाभी, चाची, मौसी और बुआ
लेकिन इन सबके ऊपर वह होती है....एक मां ।।
महिला सिर्फ एक महिला नहीं होती
वह अपने अंदर अनगिनत रूप समेटे हुए होती है।
कंचन सिंगला
”