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टूटे हुए...

टूटे हुए कांच की तरह चकनाचूर हो गए, किसी को चुभ न जाए इसीलिए सबसे दूर हो गए, सावन की बारिश में हम चांद का नूर हो गए , किसको याद न आए, इस‌ीलिए अपनी याद भुलाने को मजबूर हो गए ।

By Pritirani Ratha
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