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ठगी का...

ठगी का नाश्ता। बेईमानी काभोजन। लूट का लंच। भष्टाचार का डिनर। इंसान का यह हाल हैं। ईश्वर के घर दैर हैं। परअंधेरे नहीं। जैसी करणी वैसीभरणी आज नहीं तो निश्चय कल। यह हैं गीता का ज्ञान। अपने कर्मो का फल तो भोगना ही पड़ेगा।

By Devaram Bishnoi
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