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तेरी मिट्टी में जो जादू है धरती माँ उसे सींचकर पेट भरने वाला किसान आज अधूरा है।
अनपूर्णा है तू धरती माँ तेरे अन को पूर्ण करने वाला आज रूठा है।
तेरी मिट्टी को खून-पसीने से सींचना न छोड़ना पड़े इसलिए आज रिस्क से इश्क किए बैठा है किसान।
जै जवान जै किसान सुने थे नारे जिस देश में वहीं आज लगता है नारे शायद चंद अमीरो के हाथों बिक गए हैं।
-वरुण आनंद
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