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तेरी हद...

तेरी हद क्या है देखना है मुझे इश्क के नाम पे अपना स्वाभिमान नही खोना मुझे फरेब के बाजार में दिल नही बेचना मुझे तेरी क्या औकात है बेवफा आज देखना है मुझे

By राजेश "बनारसी बाबू"
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