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" सुख-दुःख...

" सुख-दुःख सांझा करने के वो ज़माने चले गए ! बदी को नकारते, नेकी के वो ज़माने चले गए बालों में जब मुस्कुराते थे फूल खुशबूदार फितरतों के वो ज़माने चले गए !! - ज़हीरुद्दीन साहिल

By Zahiruddin Sahil
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