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सुबह हो गई...

सुबह हो गई पर सच के समन्दर का पता आज तक नहीं चल पाया , किनारा मिल तो गया पर मंजिल से परे रहना मुश्किल पड़ गया । भुलाया जा सकता ना जो भूलना है पड़ रहा , भूलकर भी याद सा हो उस वक्त से निकलना है मुश्किल पड़ रहा।

By Saibalini Rayaguru
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