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सपनों में...

सपनों में खोता हूं तुम्हारे हर पल पागल सा और कितने प्यासे रखोगी इन सूखे होठों को हिमाकत कर जाने दो भवरों को  क्यूं हिजाब में कैद कर देती हो बहके अरमानों को

By क़लम-ए-अम्वाज kunu
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