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सोमवार: अब...

सोमवार: अब रोज़ रोज़ क्या नया सुनाये हम, छत पर बाल सुखाती प्रिय पड़ोसन। कभी चाय पीते हुए पड़ोसी पड़ोसन, उन्हें देखकर आँखे फाड़ते मेरे नयन। 16052022:21:41pm

By Sumit. Malhotra
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