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"सोलाह...
"सोलाह सिंगार...
"सोलाह...
“
"सोलाह सिंगार करके जगाती है मुज़को,
निंद से उठकर मै ढुंढता हुं,
दौड़ दौड़कर थक गया हुं
" मुरली"
उस लियै मुज़े निंद आती नहीं।"
-धनजीभाई गढीया"मुरली"
”
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