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संगे...

संगे मज़ार ज़िंदगी के रास्ते पर संगेमील तो नहीं होते। पर कुछ मुकाम इस फासले का अहसास करा देते हैं। सफर का शुरुवाती पत्थर घर की दहलीज़ होता है और आख़िरी धय्या पर संगेमज़ार होता है।

By Yogeshwar Dayal Mathur
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