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समेटता हूँ...
“
समेटता हूँ तेरे हुस्न को इस कदर अल्फाजों में , मयखाना समेटना चाहे कोई शराबी पैमानों में।।
”
By
Suresh Koundal
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Suresh Koundal
सर्व पाहा
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