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सकता हूं...

सकता हूं कि हार जाऊं कल को, पर जीत मानूंगा, गर साथ तब भी तुम्हारा हो साथ तो मैं उस दरिया में भी जाऊंगा कूद, जिसमें कहीं कोई किनारा न हो

By अंकित शर्मा (आज़ाद)
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