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सीता की अग्नि परीक्षा या राम की विरह दास्तां
तब भी और आज भी,स्त्री का पात्र संवेदन शील व कुछ अश्रु बहाकर ही विजीत होता आया है। प्रश्नचिह्न,सीता से अधिक राम पर कई बार उठे ।पर, हमनें सिर्फ सीता को केंद्र बिंदु माना और,उन्हें ही दीन हीन के रूप पेश किया
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