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शोक भरे उर...

शोक भरे उर में रघुनंदन, ताक रहे हनुमान न आये | देख दशा निज भ्रात दयानिधि, सोच रहे जयगान न आये | सूख गया दृग नीर गया बह, आज बिना कपि प्रान न आये | पीट रहे हृद जोह रहे पथ, आज अभी सुख खान ने आये || ✍️पं.संजीव शुक्ल 'सचिन'

By पं.संजीव शुक्ल सचिन
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