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शब्दों के...

शब्दों के बीच मौन ही पसरा है, हमारे तुम्हारे दरम्यान पर तुम्हें देख भर लेने से मुखर हो उठता है यह मौन। महसूस करने लगती हूं अपने चारों ओर, एक मजबूत घेरा एक मजबूत सी डोर, डोर तुमसे जोड़ने को जैसे एक अदृश्य शक्ति।

By Dr. Upma kumari
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