शब्द से...

शब्द से शब्द जुड़ते चले शैली हो गई। ना बिकने वाली शय अब कैली हो गई। इम्तिहान इतने लिए ज़िंदगी ने ‘अक्स’ कोरी-सी ओढ़नी मेरी मैली हो गई।

By Parul Manchanda
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