“चलता जा राही तेरा मंजर अभी आता ही होगा।” कुछ शब्द हमारे जीवन के अंतःकरण में रंग घोल देते है। ऐसे ही चंद शब्द है ये.. जीवन के उतार चढ़ाव में मुझे लिखने की प्रेरणा देते रहे है! कविताएँ सिर्फ़ जुमला नहीं होती शब्दों का … ये भावो का वो स्रोत होती है जिसे कलम में पिरोने की कोशिश की जाती है। इसी आशा... Read more
Share with friendsहो कविता अच्छी तो दाद और ताली की परवाह नहीं करते हो महाब्बत कैसी भी अपनी होती है बदनाम किया नहीं करते
सजदे में सिर जो झुका रहा उसे मुसाफ़िर क्यूँ तोल गया ! जो ज़मीर में था ही नहीं मेरे, उसे मेरा लहज़ा क्यूँ बोल गया !!
हम कुछ सुनाये और आप सुने ऐसी तो हम में कोई बात नहीं राहे गुज़र है सभी कहा जा चुका सब कुछ अब और कोई बात नहीं मंज़िल की तलाश तुमको भी है हमको भी राह ख़ुद बनानी पड़ेगी , भूल है वहाँ कोई महताब नहीं!
हो कविता अच्छी तो दाद और ताली की परवाह नहीं करते हो महाब्बत कैसी भी अपनी होती है बदनाम किया नहीं करते
उनकी आँखें बोल जाती थी….. महफ़िल में के प्यार उनको अब भी है! आँखों पर पहरा लगाया हमने और अब ख़ुद से पूछते है क्या प्यार अब भी है ?