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सड़को पर...

सड़को पर पसरा ये सन्नाटा कैसा है? गुजारे ना गुज़रे ये वक्त कैसा है? कतारें लगी है, श्मशानों के बाहर ये खुदा ये मंज़र कैसा है? हर पल गुजर रहा मौत के साए में मुस्कुराइए आप लखनऊ में है ये अफ़वाह कैसा है?

By Kajal Singh
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