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रक्षाबंधन की शुभकामनाएं
भरात भगिनी
भरात पाकर धन्य हुआ, सहोदरा का प्यार।
रेशम का एक धागा, रोके हर इक वार।।
रोके हर इक वार, नहीं जिसका कोय तोड़।
हर पग साथ देती, जीवन के हर इक मोड़।।
कहे अनुज संदीप, भगिनी देव तुल्य अनन्य।
स्नेह जान जोत से,भरात जग में हुआ धन्य।।
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