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पुरानी पीढ़ी प्राचीन परंपराओं को ढोने के चक्कर में नवाचारों को स्वीकारने में झिझकती है और युवा पीढ़ी भविष्य के स्वप्नों में डूबी और प्राचीन विचारों को दकियानूसी मानते हुए स्वीकारने में हिचकती है।भूत और भविष्य की भूल-भुलैया छोड़ वर्तमान स्थिति के अनुरूप नियोजन कर विकास पथ पर अग्रसर होना चाहिए
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