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प्रेम से...

प्रेम से पवित्र व स्थायी कुछ नहीं है किंतु दैहिक आकर्षण के वंशीभूत होकर इसे देखा जाए तो यह गलत है। प्रद्युम्न अरोठिया

By PRADYUMNA AROTHIYA
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