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नशा वो क्या नशा है ,जो शराब से हो ,
नशा तो वह है ,जो जज्बातों से हो।
यूँ तो मयखानों के प्यालों में लोग डूब जाया करते हैं,
नशा तो तब है जब यह डूबना उनकी आँखों में हो।
शराब में डूब कर क्यों तौहीन करने जज़्बातों की ,
यह तो तब मुकम्मल हो ,जब मौजूद रूह और हर साँस में हो।
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