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नारी शांति के समय गृह लक्ष्मी है ,क्रांति के समय शक्ति, धात्री के रूप में दुर्गा और निराशा के समय प्रकाश देने वाली साक्षात सरस्वती है ।वह जननी ,धात्री , विधात्री तथा अन्नपूर्णा है ,उसका उचित स्थान दिया जाना समय की आवश्यकता और मनुष्यता की पुकार है।
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