“
ना जल की धारा को कोई ऱोक सकता है;
ना समंदर को बाँध सकता है;
ना हवा का घर,कोई पहचान सकता है;
ना ओलों का भण्डार,कोई जमां कर सकता है;
ना सूरज को उगा सकता है;
ना तितलियों को दे सकता है रंगत कोई,
ना पंछियों को उड़ा सकता है।
हाँ रोबॉट तो बना सकता है अपनी अक़्ल से इंसान,पर क्या फूंक सकता है उसमें आत्मा,डाल सकता है उसमें जान।
तेरा प्यार है कितना महान! परमेश्वर तेरा प्यार है कितना महान!
”