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न जाने क्यू...

न जाने क्यू ये अकेलापन इतना हमें सताता हैं जाने क्यू पुराना जख़्म बार-बार उभर आता है। हर जख़्म का मरहम जनाब वो बदलता वक्त हैं पर ये वक्त कमबख़्त रुका रुका नजर आता है।

By N.ksahu0007 @writer
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