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मुसाफ़िर...
मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों...
मुसाफ़िर...
“
मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का
समंदर हूँ मैं लफ़्ज़ों का मुझे खामोश रहने दो,
उमड़ता प्रेम का दरिया, उसे आगोश बहने दो।
मचल जो दिल गया मेरा, बड़ा तूफ़ान आएगा-
मुसाफ़िर अल्फ़ाज़ों का, मुझे खामोश चलने दो।।
©पंकज प्रियम
”
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