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मुक्तक शिकाय...

मुक्तक शिकायत रोज़ करती हूं मैं तेरे साथ रहने की। अब हिम्मत नहीं मुझमें यूं तन्हाई को सहने की। वो चांद भी गवाह रहा है,तेरे संग रहने का। आदत हो गई मुझको सभी कुछ उससे कहने की। नूतन नवल

By Dr nutan Sharma "naval"
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