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मुझको...

मुझको अंधेरे में रखा, उजालों से क्या बैर था, मुहब्बत हमारी भी थी, उम्र का फिर कहाँ होश था. फ़ासले यूँ बढ़ते गये, शायद उसमें ही कोई दोष था.

By Amulya Ratna Tripathi
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