है गम नहीं कि, खर्च हो रहा हूँ, जिंदगी के सारे, मर्ज ढ़ो रहा हूँ, ज़रा मुगालते में था अब तक। अब सिर्फ अपने, सपने जी रहा हूँ.
आज आई है मेरी याद उसे ! ज़रूर किसी ने ठुकराया होगा !! मेरे जज़्बातों की तरह किसी ने उसके दिल को भी पैरों से रौदा होगा।।। उसकी हसीन मोहब्त को अपने अरमानो से कुचला होगा|#☺☺😤
मुझको अंधेरे में रखा, उजालों से क्या बैर था, मुहब्बत हमारी भी थी, उम्र का फिर कहाँ होश था. फ़ासले यूँ बढ़ते गये, शायद उसमें ही कोई दोष था.