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मुझे खिड़की से देखकर वो जब शर्माई थी,
मेरे दिल में उसी पल वो बस समाई थी।
वो दिन था बरसों पुराना आज भी मुझे याद है,
इतवार की छुट्टी थी और बाजार में ईद की शहनाई थी।
जाने कितने दिनों बाद वो इतवार फिर से आया,
सामने देखकर मैं उसको फिर कुछ भी न कह पाया।
मुझे क्या मालूम था जिंदगी बर्बाद हो गई थी मेरी,
दुल्हन वो सजकर जब किसी और की होने चली थी।
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#ArshadMirza
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