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मृदुल...

मृदुल अधखिली सी वो पंखुड़ी थी गुलाब की, उस रात जब न लौटी वो घड़ी थी इंतजार की , गूंज रही थी सिसकियाँ तार-तार हो गई जिंदगी, नोच रहे लोग उसे वो हैवानियत की शिकार थीI

By सोनी गुप्ता
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