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मंजिल चाहे...

मंजिल चाहे दूर हो तेरी, विपद चाहे हो घनेरी. थक के राही रुक ना जाना, हिम्मत से तू कदम बढ़ाना . राजेश्वरी जोशी, उत्तराखंड

By Rajeshwari Joshi
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