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"मन मेरा चंचल है...
मुँह से बात निकल गयी...
हाथ गलती से उठ गया..."
हम अपने मन और इन्द्रियों के गुलाम हैं
गलत आदतों की गुलामी से हमें आज़ादी पानी है
स्वराज्य (self-rule) से ही स्वतंत्र (self-control) होंगे
मन वही सोचे जो मुझे सुख दे
मुख वही बोले जो दूसरों को सम्मान दे
हाथ वही कर्म करें जो सृष्टि को सुन्दर बनाये
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-(Writer) Sandipan Saha
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