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मन भंवर में...

मन भंवर में फंस गया ऐ ऐसे सोचे सोचे निकले भला कैसे! लत बुरी, पथ गलत,समझे न, मरे न जब तक कहे हाय पैसे!! ✍ शैलेन्द्र गौड़

By शैलेन्द्र गौड़ कवि
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