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मित्र तो...

मित्र तो बनते हैं हृदय के भाव से, लाभ-हानि का होता नहीं हिसाब। मित्रता का रिश्ता तो इस जगत में, सारे रिश्तों से अलग और लाज़वाब। # गायत्री सिंह #

By Gayatri Singh
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