विविध लोग होते हैं जग में, करिए केवल उनकी परवाह। जो अधर्म से रोकते हैं हमको , धर्म हेतु बढ़ाते रहते हैं उत्साह। # गायत्री सिंह #
हमें रहती बहुत चिंता, है मस्ती और सपनों की। न रहती चाह की चिंता जो , जरूरत जग या अपनों की। # गायत्री सिंह #
शुभ कार्य के लिए व्यस्तता में भी हम, कर नियोजन फुरसत के पल निकालें। फ़ुरसत के पलों में करते हुए चिन्तन, शुभता हेतु व्यस्तता योजना बना डालें। # गायत्री सिंह #
विस्तार ज्ञान का सतत् करते रहते है, नित नए-नए अनुभव और नूतन शोध। अखिल विश्व का निःस्वार्थ कल्याण करें, विश्व वन्धुत्व भावना का सदा रहे बोध। # गायत्री सिंह #
प्रेरित करते हैं जो सन्मार्ग गमन को, परिष्कृत करें मिटाकर के अभिमान। हमारे स्वभाव को करें पूर्ण ही निर्मल, ऐसे ही प्रेरणाप्रद होते हैं आदर्श इंसान। # गायत्री सिंह #
प्रेरित करते हैं जो सन्मार्ग गमन को, परिष्कृत करें मिटाकर के अभिमान। हमारे स्वभाव को करें पूर्ण ही निर्मल, ऐसे ही प्रेरणाप्रद होते हैं आदर्श इंसान। # गायत्री सिंह #
प्रेरित करते हैं जो सन्मार्ग गमन को, परिष्कृत करें मिटाकर के अभिमान। हमारे स्वभाव को करें पूर्ण ही निर्मल, ऐसे ही प्रेरणाप्रद होते हैं आदर्श इंसान। # गायत्री सिंह #
प्रेरित करते हैं जो सन्मार्ग गमन को, परिष्कृत करें मिटाकर के अभिमान। हमारे स्वभाव को करें पूर्ण ही निर्मल, ऐसे ही प्रेरणाप्रद होते हैं आदर्श इंसान। # गायत्री सिंह #