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मेरी प्यारी मां,
जो मैने कहा ही नहीं वो तुमने समझा। मेरी हंसी देखी सबने तुमने दर्द को पढ़ लिया। तुम्हारे हाथ की चाय ही पीकर मिलती है तृप्ति और तुम्हारे हाथ के खाने में है जादू। अब भी अगर दर्द से चिल्लाती हूं या डर जाती हूं मां ही बस पुकारती हूं।तेरी गोदी में सर रख कर फिर से सोना चाहती हूं ।आकर तेरे पास फिर से अपना बचपन जीना चाहती हूं।तुम मेरे लिए अपना ख्याल रखना यही कहना चाहती हूं।रचना शर्मा राही
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