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मेरी अतीत...

मेरी अतीत ना जाने क्यों तड़पा जाती है जब चलो सामने पीछा करती नज़र आती है ये वक्त का तकाजा है या मेरी गम ए नसीब जिससे दूर जा रही वो करीब आ रहा

By राजेश "बनारसी बाबू"
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