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मेरी अधूरी...

मेरी अधूरी कहानी की कैसी ये दास्तान है, मेरी अर्थी भी नहीं जल रही ये कैसा छाया तूफान है, आज शमशान में भी मै हूंँ अकेली, ऊपर वाले ये तेरा कैसा विधि का विधान है।

By राजेश "बनारसी बाबू"
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